National Herald Case: ED ने सोनिया-राहुल पर नई FIR दर्ज की, 2000 करोड़ की ठगी का बड़ा खुलासा!
अरे यार, कल्पना कीजिए, एक पुरानी अखबार वाली कंपनी को सरकार ने सस्ते में जमीनें दीं ताकि वो जनता की भलाई के लिए काम करे। लेकिन अब वो जमीनें, जिनकी कीमत अरबों में है, किसी तरह के जादू-टोने से मुश्किल से 50 लाख में बिक गईं। और बीच में फंसे हैं सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे बड़े नाम। ये National Herald Case की ताजा कड़ी है, जहां ED ने दिल्ली पुलिस में नई FIR ठोक दी है। मैं राकेश बोल रहा हूं, और आज इस पूरी मसले को ऐसे खोलकर रख दूंगा जैसे घर पर चाय पीते हुए दोस्तों से बात कर रहा हूं।
कोई किताबी भाषा नहीं, बस सीधी-सादी बातें, फैक्ट्स के साथ। चलिए, शुरू से समझते हैं कि ये मामला आखिर है क्या, और क्यों ये आज फिर सुर्खियों में है।
National Herald Case की जड़ें: एक पुरानी कहानी जो आज भी सुलग रही है
दोस्तों, National Herald Case कोई नई फिल्म का प्लॉट नहीं है, बल्कि 2012 से चल रही रियल लाइफ ड्रामा है। शुरूआत हुई थी जब BJP के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर उंगली उठाई। उन्होंने कोर्ट में केस किया कि असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) – जो नेशनल हेराल्ड अखबार चलाती थी – ने सरकारी जमीनों का गलत इस्तेमाल किया। AJL को 1930-40 के दशक में इंडिपेंडेंस मूवमेंट के लिए सस्ते दामों पर प्रॉपर्टीज मिली थीं। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसी जगहों पर ये जमीनें थीं, जिन्हें पब्लिक वेलफेयर के नाम पर अलॉट किया गया।
लेकिन 2010 में AJL ने अपनी 99% शेयर्स एक नई कंपनी यंग इंडियन को बेच दीं – सिर्फ 50 लाख रुपये में! और यंग इंडियन के बेनिफिशियल ओनर्स? सोनिया गांधी (38%) और राहुल गांधी (38%)। बाकी शेयर्स कुछ और कांग्रेस लीडर्स के पास।
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अब सोचिए, मार्केट वैल्यू 2000 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टीज, और बदले में सिर्फ 50 लाख? ED का कहना है कि ये सब एक सोची-समझी साजिश थी। उन्होंने FIR में लिखा है कि ये प्रॉपर्टीज “पब्लिक वेलफेयर एक्टिविटीज” के लिए दी गई थीं, लेकिन इन्हें पर्सनल गेन के लिए डायवर्ट कर दिया गया। मतलब, जो जमीनें जनता के लिए थीं, वो प्राइवेट हाथों में चली गईं। मैंने पुरानी रिपोर्ट्स चेक कीं, तो पता चला कि AJL पर कर्जा था, लेकिन यंग इंडियन ने वो कर्जा चुकाया – बिना कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट किए। ये National Herald Case का कोर इश्यू है: क्या ये लीगल ट्रांसफर था, या मनी लॉन्ड्रिंग का खेल?
- मुख्य प्रॉपर्टीज: दिल्ली का हेराल्ड हाउस, मुंबई के फ्रूइट्स हाउस, लखनऊ की जमीनें – कुल वैल्यू 2000 करोड़+।
- ट्रांसफर कैसे हुआ: AJL ने यंग इंडियन को शेयर्स दिए, और यंग इंडियन ने AJL को कर्जा दिया, जो बाद में माफ हो गया।
- ED का एंगल: ये सब PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत आता है, जहां मनी को क्लीन दिखाने का आरोप है।
ये केस इतना पुराना है कि इसमें कई कोर्ट केयर ऑर्डर्स आ चुके हैं। 2014 में दिल्ली कोर्ट ने केस को मंजूरी दी, और 2022 में ED ने सोनिया-राहुल से पूछताछ की। लेकिन अब, नवंबर 2025 में, ये फिर गरमाया है। क्यों? क्योंकि ED ने नई FIR फाइल की है, जो पुराने केस से आगे की बातें जोड़ती है।
ED की नई FIR: क्या-क्या आरोप लगाए गए?
चलिए, अब इस ताजा ट्विस्ट पर आते हैं। 3 अक्टूबर 2025 को ED के असिस्टेंट डायरेक्टर शिव कुमार गुप्ता ने दिल्ली पुलिस में FIR दर्ज कराई। ये IPC की धाराओं 420 (चीटिंग), 406 (क्रिमिनल ब्रेक ऑफ ट्रस्ट), 403 (डिशोनेस्ट मिसअप्रोप्रिएशन), और 120B (क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी) के तहत है। FIR में सोनिया, राहुल, सुमन दुबे, सैम पित्रोड़ा, यंग इंडियन, डॉटेक्स मर्चेंडाइज, सुनील भंडारी, AJL और कुछ अननोन लोग आरोपी हैं।
ED का दावा? आरोपी लोगों ने “बोगस रेंट्स” कलेक्ट किए, “शैम एडवरटाइजमेंट्स” से फेक रेवेन्यू जनरेट किया, और इलिसिट मनी को लॉन्डर किया। एक लाइन FIR से: “ये प्रॉपर्टीज को सस्ते में अलॉट किया गया था पब्लिक वेलफेयर के लिए, लेकिन बेनिफिशियल ओनर्स ऑफ यंग इंडियन ने इन्हें पर्सनल गेन के लिए यूज किया।” और हां, ये 2000 करोड़ वाली ठगी सिर्फ टिप ऑफ आइसबर्ग है। पहले ED ने 661 करोड़ की प्रॉपर्टीज अटैच की थीं – दिल्ली, मुंबई, लखनऊ में।
मैं बताता हूं, ये National Herald Case इसलिए बड़ा है क्योंकि ये सिर्फ पैसे का खेल नहीं, बल्कि ट्रस्ट का ब्रेक है। सरकार ने AJL को जनता के पैसे से मदद दी, और वो मदद प्राइवेट पॉकेट्स में चली गई। स्वामी जी की 2012 वाली कंप्लेंट से आगे, ED कह रही है कि नए फैक्ट्स मिले हैं जो कोर्ट के 26 जून वाले ऑर्डर से बाहर हैं। अप्रैल 2025 में ED ने चार्जशीट फाइल की थी सात लोगों के खिलाफ, जिसमें सोनिया-राहुल शामिल थे। अब ये FIR उसी की एक्सटेंशन है।
National Herald Case में आरोपी कौन-कौन? एक नजर डालें
ये केस इतना बड़ा है कि इसमें कई लेयर हैं। मुख्य आरोपी तो सोनिया और राहुल हैं, लेकिन बाकी नाम भी कम नहीं।
- सोनिया गांधी: यंग इंडियन की डायरेक्टर रहीं, 38% शेयर्स। ED उन्हें मास्टरमाइंड मान रही है।
- राहुल गांधी: डायरेक्टर, 38% शेयर्स। 2022 में ED ने उनसे घंटों पूछताछ की।
- सुमन दुबे और सैम पित्रोड़ा: यंग इंडियन के डायरेक्टर्स, शेयर्स होल्डर्स।
- यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड: AJL को कंट्रोल करने वाली नॉन-प्रॉफिट कंपनी।
- AJL और डॉटेक्स: प्रॉपर्टीज डील करने वाली एंटिटीज।
कांग्रेस का कहना है कि ये सब पॉलिटिकल वेंचर है, BJP की साजिश। लेकिन ED के डॉक्यूमेंट्स फैक्ट्स पर बेस्ड हैं – बैंक स्टेटमेंट्स, प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स। मैंने चेक किया, तो PMLA कोर्ट ने पहले ही चार्जशीट को मंजूरी दी है। ये National Herald Case राजनीति से ऊपर उठकर कानूनी बैटल है।
कांग्रेस की सफाई: राजनीतिक बदले की कार्रवाई?
अब दूसरी तरफ की बात। कांग्रेस लीडर्स कह रहे हैं कि National Herald Case में कोई गड़बड़ी नहीं, ये नेहरू-गांधी फैमिली का हेरिटेज है। नेशनल हेराल्ड तो फ्रीडम स्ट्रगल का सिंबल था! राहुल ने ट्वीट किया था (पुराना, लेकिन याद है): “ED को राजनीतिक टूल मत बनाओ।” सोनिया ने भी कहा कि वो कोऑपरेट करेंगी। लेकिन ED की FIR के बाद चुप्पी साध ली। क्या ये साइलेंस गिल्ट का साइन है, या स्ट्रैटेजी? मैं कहूंगा, वक्त बताएगा।
फैक्ट चेक: कांग्रेस ने यंग इंडियन को “नॉन-प्रॉफिट” बताया, लेकिन ED कहती है कि प्रॉफिट्स AJL से निकले। कोर्ट में 50+ हियरिंग्स हो चुकी हैं, और अभी सुप्रीम कोर्ट में अपील पेंडिंग है।
National Herald Case का असर: राजनीति पर क्या पड़ेगा?
दोस्तों, ये केस सिर्फ लीगल नहीं, पॉलिटिकल बम है। 2024 इलेक्शन्स के बाद कांग्रेस पहले ही कमजोर है, और ये FIR टाइमिंग पर सवाल उठाती है। BJP कह रही है, “कांग्रेस का काला इतिहास खुल रहा है।” लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि PMLA के तहत सजा मिलना मुश्किल है – सबूतों की कमी। फिर भी, 661 करोड़ अटैचमेंट से AJL का फ्यूचर अनिश्चित।
मेरा टेक? National Herald Case ट्रांसपेरेंसी की याद दिलाता है। चाहे कोई भी पार्टी हो, पब्लिक मनी का मिसयूज बर्दाश्त नहीं। अगर दोषी साबित हुए, तो बड़ा झटका। नहीं तो, ED पर सवाल।
अब थोड़ा डीप डाइव: ED ने कैसे प्रूफ जुटाए? बैंक ट्रांजेक्शन्स से पता चला कि 50 लाख से ज्यादा का फायदा हुआ। फेक रेंट्स? हां, प्रॉपर्टीज पर बिना टेनेंट्स के रेंट इनकम दिखाई। ये National Herald Case मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक एग्जांपल है।
पुरानी टाइमलाइन: National Herald Case कैसे पहुंचा यहां
- 1938: AJL बनी, हेराल्ड लॉन्च।
- 2010: शेयर्स यंग इंडियन को ट्रांसफर।
- 2012: स्वामी की कंप्लेंट।
- 2022: ED पूछताछ।
- 2025: नई FIR।
कुल मिलाकर, ये केस 1000+ पेज के डॉक्यूमेंट्स का ढेर है। मैंने समाचार स्रोत्स से वेरिफाई किया – इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स – सब एक ही बात कहते हैं।
National Herald Case से सीख: सिस्टम में सुधार की जरूरत
अंत में, ये National Herald Case हमें सोचने पर मजबूर करता है। सरकारी अलॉटमेंट्स में ट्रांसपेरेंसी क्यों नहीं? नॉन-प्रॉफिट कंपनियां कैसे चेक हों? ED जैसी एजेंसियां इंडिपेंडेंट रहें। राजनीति में भ्रष्टाचार खत्म हो, तभी देश आगे बढ़ेगा।
अगर आपका कोई सवाल है, कमेंट्स में पूछो। मैं राकेश, अगली पोस्ट में मिलते हैं। शेयर करो, अगर ये स्टोरी ने सोचने पर मजबूर किया!
FAQs: National Herald Case से जुड़े सवाल
1. National Herald Case में ED ने क्या नई FIR दर्ज की?
ED ने 3 अक्टूबर 2025 को दिल्ली पुलिस में FIR फाइल की, जिसमें 2000 करोड़ की प्रॉपर्टी ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। सोनिया-राहुल मुख्य आरोपी।
2. National Herald Case में कौन-कौन आरोपी हैं?
सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोड़ा, यंग इंडियन, AJL और अन्य। कुल 8+ नाम शामिल।
3. National Herald Case का मुख्य आरोप क्या है?
सरकारी प्रॉपर्टीज को सस्ते में AJL को दिया गया, लेकिन यंग इंडियन ने 50 लाख में ले लिया। फेक रेंट्स और लॉन्ड्रिंग का केस।
4. National Herald Case कब शुरू हुआ?
2012 में सुब्रमण्यम स्वामी की कंप्लेंट से। 2022 में ED की पूछताछ, 2025 में नई FIR।
5. National Herald Case का राजनीतिक असर क्या होगा?
कांग्रेस पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन कोर्ट फैसला तय करेगा। PMLA के तहत सजा मिलना टफ है।
