Election Commission SIR डिबेट: विंटर सेशन का धमाकेदार आगाज, लेकिन सदन में सिर्फ नारेबाजी!
अरे भाई, कल सोचा होगा कि विंटर सेशन शुरू हो रहा है, तो कुछ ठंडी हवा चलेगी संसद में। लेकिन नहीं यार, पहला दिन ही आग लग गई! मैं राकेश बोल रहा हूं, और आज की ये खबर पढ़कर आपको भी लगेगा कि राजनीति का खेल कितना गर्म हो गया है। Election Commission SIR – मतलब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन – इसी को लेकर विपक्ष ने ऐसा हंगामा मचाया कि लोकसभा हो या राज्यसभा, दोनों जगह कामकाज ठप। पूरा दिन स्लोगन शाउटिंग और वॉकआउट में निकल गया। चलो, मैं आपको बिल्कुल अपनी जुबानी बताता हूं कि आखिर क्या हुआ, क्यों हुआ, और आगे क्या हो सकता है। ये सब मैंने खुद ट्रैक किया है, क्योंकि लोकतंत्र की ये लड़ाई हमें सबको छूती है।
Election Commission SIR क्या बला है, जो सदन उखाड़ लाया?
सबसे पहले तो समझते हैं कि ये Election Commission SIR आखिर है क्या। दोस्तों, SIR का फुल फॉर्म है स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन ऑफ इलेक्टोरल रोल्स। आसान भाषा में कहूं तो ये वोटर लिस्ट की स्पेशल सफाई है – पुरानी एंट्रीज चेक करना, नए वोटर ऐड करना, और डुप्लिकेट हटाना। चुनाव आयोग ने इसे चलाया है ताकि अगले चुनावों में सब कुछ साफ-सुथरा हो। लेकिन विपक्ष को शक है, यार। वो कहते हैं कि ये तो वोट मैनिपुलेशन का बहाना है! मतलब, लिस्ट में छेड़छाड़ हो रही है, खासकर उन इलाकों में जहां विपक्ष मजबूत है।
राहुल गांधी ने तो इंडिया ब्लॉक की मीटिंग में सीधे बोल दिया – “ये वोट चोरी का प्लान है।” मैंने सोचा, वाह, कितना सीधा अटैक! और मल्लिकार्जुन खड़गे, जो राज्यसभा में लीडर ऑफ ऑपोजिशन हैं, उन्होंने BLOs – यानी बूथ लेवल ऑफिसर्स – की बात उठाई। बोले, इनकी इतनी वर्कलोड है कि सुसाइड्स हो रहे हैं। कल्पना करो, ग्रासरूट लेवल पर ये दर्द। खड़गे ने कहा कि ये डिबेट पिछले सेशन से पेंडिंग है, अब और टाल नहीं सकते। TMC के डेरेक ओ’ब्रायन ने भी जोड़ा कि रिजिजू जी ने रविवार को प्रॉमिस किया था – इलेक्टोरल रिफॉर्म्स के अंडर डिस्कस होगा। लेकिन कल क्या हुआ? बस टालमटोल!
- मुख्य चिंताएं: वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ का खतरा
- बूथ लेवल दिक्कतें: BLOs पर बोझ, सुसाइड केस बढ़े
- विपक्ष का एंगल: ये लोकतंत्र पर हमला, डिबेट जरूरी
मैं बताता हूं, ये सिर्फ नया मुद्दा नहीं है। पिछले मानसून सेशन में भी “वोट चोरी” पर प्रोटेस्ट हुए थे। अब विंटर सेशन 2025 में फिर वही आग। चुनाव आयोग का SIR अगर सही से हो रहा है, तो अच्छा है ना? लेकिन ट्रांसपेरेंसी न हो, तो शक तो बनेगा ही।
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लोकसभा में क्या ड्रामा चला – Election Commission SIR डिबेट बन गया हंगामे का सबब
लोकसभा में सुबह से ही हल्ला। स्पीकर ओम बिरला जी ने अपील की, “स्लोगन बाहर शाउट करो, हाउस में नहीं।” लेकिन विपक्ष कहां मानने वाला! नारेबाजी शुरू, और हाउस बार-बार ऐडजर्न। पहली हाफ में तो तीन-चार बार ब्रेक पड़ा। बीच में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने मनिपुर में GST अमेंडमेंट्स का बिल पास करवाया। वाह, कम से कम कुछ काम हुआ। साथ ही, तंबाकू और पान मसाला जैसे ‘सिन गुड्स’ पर लेवी के दो नए बिल इंट्रोड्यूस किए। लेकिन दूसरी हाफ में? बस, स्लोगन ही स्लोगन। आखिरकार दिन भर के लिए ऐडजर्न।
मुझे लगता है, यार, ये सीन देखकर दुख होता है। संसद तो चर्चा का जगह है, न कि रिंग का। लेकिन जब चुनाव आयोग का SIR जैसे बड़े मुद्दे पर सरकार चुप्पी साधे, तो विपक्ष कैसे चुप रहे? कल प्रोटेस्ट प्लान है – पार्लियामेंट गेट पर। मानो, मानसून सेशन का रीप्ले!
- सुबह 11 बजे शुरूआत: स्लोगन से हंगामा
- बिरला जी की अपील: बाहर जाओ, अंदर मत
- बिल पास: GST और लेवी वाले
- दोपहर: फुल ऐडजर्न, कोई डिबेट नहीं
राज्यसभा में वॉकआउट – Election Commission SIR डिबेट पर भरोसे का संकट
अब राज्यसभा की बारी। वाइस प्रेसिडेंट सीपी राधाकृष्णन को चेयरमैन के रूप में फेलिसिटेट करने के बाद विपक्ष ने धावा बोल दिया। डेरेक ओ’ब्रायन, खड़गे, और CPM के जॉन ब्रिटास ने बोला – तुरंत SIR पर डिबेट! ओ’ब्रायन ने याद दिलाया, रिजिजू जी ने रविवार को कहा था कि शाम 9 बजे तक जवाब देंगे। लेकिन रिजिजू जी ने कहा, “हम मुद्दे को इग्नोर नहीं कर रहे, लेकिन टाइमलाइन थोप नहीं सकते। दूसरे स्टेट्स के ओपोजिशन पार्टियां भी हैं, उनके मुद्दे भी हैं।”
विपक्ष ने काउंटर किया – “ट्रस्ट डेफिसिट है!” ओ’ब्रायन बोले, “टाइमलाइन प्रॉब्लम नहीं, भरोसा टूटा है।” बस, फिर वॉकआउट। उसके बाद चेयर चले गए स्पेशल मेंशन और जीरो ऑवर पर। यार, ये ट्रस्ट डेफिसिट वाली बात गहरी है। सरकार कहती है “जल्दी रिस्पॉन्स देंगे”, लेकिन प्रॉमिस भूल जाते हैं। विपक्ष को लगता है कि चुनाव आयोग का SIR इलेक्टोरल रिफॉर्म्स का हिस्सा है, तो क्यों नहीं डिस्कस?
इंडिया ब्लॉक में भी दरारें दिखीं। TMC ने कांग्रेस की मीटिंग जॉइन नहीं की, लगता है अपना रास्ता चलेगा। केरल के छोटे पार्टियां – CPI, CPM, RSP, IUML – बोले कि फुल वॉशआउट मत करो, दूसरे इश्यूज भी हैं। लेकिन कांग्रेस अड़ी हुई है। खड़गे ने कहा, SIR को रिलेटेड सब्जेक्ट्स में मिक्स कर सकते हैं। देखते हैं कल क्या होता है।
सरकार की चालाकी या मजबूरी? – Election Commission SIR पर रिजिजू का स्टैंड
पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर किरेन रिजिजू जी ने क्लियर कहा – “गवर्नमेंट SIR डिबेट पर कंसिडर कर रही है, लेकिन आज ही नहीं।” उन्होंने जोड़ा, “12 पार्टियों के अलावा और भी हैं, सबके मुद्दे महत्वपूर्ण।” ये बात सही लगती है, लेकिन विपक्ष को लगता है कि ये बहाना है। रिजिजू जी ने कहा, “टाइमलाइन डिक्टेट नहीं कर सकते।” मैं सोचता हूं, अगर इतनी जल्दी प्रॉमिस लिया था, तो क्यों पीछे हटे?
- रिजिजू का पॉइंट: मल्टीपल डिमांड्स हैं, सबको टाइम दो
- विपक्ष का जवाब: प्रॉमिस तो निभाओ, ट्रस्ट बनाओ
- इम्पैक्ट: दिन वेस्ट, बिल पास हुए लेकिन डिबेट zero
विंटर सेशन 2025 का बैकग्राउंड: Election Commission SIR क्यों हॉट टॉपिक?
विंटर सेशन 2025 2 दिसंबर से शुरू हुआ, और ये 23 दिसंबर तक चलेगा। प्लान था कि इलेक्टोरल रिफॉर्म्स, GST अमेंडमेंट्स, और दूसरे बिल्स पर फोकस हो। लेकिन Election Commission SIR ने सबका दम घोंट दिया। विपक्ष का कहना है कि ये सिर्फ रिवीजन नहीं, पोटेंशियल वोट रिगिंग का टूल है। खासकर, BLOs की सुसाइड्स – ये ह्यूमन कॉस्ट है। एक रिपोर्ट कहती है कि वर्कलोड से 10% BLOs स्ट्रेस्ड हैं।
मुझे याद है, 2024 के चुनावों में भी वोटर लिस्ट पर सवाल उठे थे। अब SIR से उम्मीद थी कि क्लीनअप होगा, लेकिन बिना डिबेट के? ये लोकतंत्र की जड़ें हिला रहा है। छोटे पार्टियां चिंतित हैं – अगर फुल डिसरप्शन हो गया, तो उनके स्टेट इश्यूज कब डिस्कस होंगे? कल मंगलवार को प्रोटेस्ट, बुधवार को रिव्यू। देखना, क्या सरकार झुकती है।
इंडिया ब्लॉक की इनफाइटिंग: Election Commission SIR ने तोड़ा एकजुटता?
कांग्रेस लीड कर रही है, लेकिन TMC अलग थलग। डेरेक ओ’ब्रायन ने वॉकआउट किया, लेकिन मीटिंग स्किप। केरल वाली पार्टियां बोलीं – बैलेंस रखो। ये डिविजन विपक्ष को कमजोर कर सकता है। अगर SIR डिबेट हो गया, तो अच्छा, लेकिन अगर नहीं, तो सेशन वॉशआउट हो जाएगा।
मैं राकेश हूं, और ये सब देखकर लगता है कि पॉलिटिशियंस को थोड़ा पीछे हटना चाहिए। वोटर्स की चिंता रियल है – लिस्ट सेफ होनी चाहिए।
आगे क्या? Election Commission SIR डिबेट पर संभावनाएं
कल पार्लियामेंट गेट पर प्रोटेस्ट। अगर सरकार ने टाइमलाइन दी, तो शायद शांत हो। वरना, पूरा सेशन खतरे में। ब्रॉडर में, ये इलेक्टोरल ट्रांसपेरेंसी पर बहस छेड़ेगा। विपक्ष जीतेगा अगर पब्लिक सपोर्ट मिला। सरकार को चाहिए कि खुलकर बोले।
दोस्तों, ये न्यूज पढ़कर सोचिए – हमारा वोट सुरक्षित है? कमेंट्स में बताओ। अगली अपडेट के लिए स्टे ट्यून्ड।
FAQs: Election Commission SIR डिबेट से जुड़े सवाल
- 1. चुनाव आयोग का SIR क्या है?
- SIR मतलब स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन – वोटर लिस्ट की गहन जांच और अपडेट। इसका मकसद चुनावों को फेयर बनाना है।
- 2. विंटर सेशन का पहला दिन क्यों बर्बाद हुआ?
- विपक्ष ने SIR पर तुरंत डिबेट मांगा, सरकार ने टाल दिया। नतीजा: स्लोगन, ऐडजर्न और वॉकआउट।
- 3. विपक्ष का मुख्य आरोप क्या है?
- वोट मैनिपुलेशन! कहते हैं SIR से लिस्ट में छेड़छाड़ हो रही है, BLOs पर बोझ बढ़ा।
- 4. सरकार का स्टैंड क्या है?
- रिजिजू जी बोले, मुद्दा कंसिडर हो रहा है, लेकिन टाइमलाइन थोपो मत। दूसरे मुद्दे भी हैं।
- 5. आगे क्या होगा विंटर सेशन में?
- कल प्रोटेस्ट, बुधवार रिव्यू। अगर डिबेट नहीं, तो और डिसरप्शन संभव।
