Karnataka CSE Seats Cap: बेरोजगारी के डर से कंप्यूटर साइंस सीटों पर ब्रेक, सरकार का बड़ा फैसला
बेंगलुरु से आई एक बड़ी खबर ने इंजीनियरिंग aspirants को सोच में डाल दिया है। कर्नाटक सरकार कंप्यूटर साइंस और इससे जुड़ी ब्रांचों में सीटें बढ़ाने पर रोक लगाने की योजना बना रही है। वजह साफ है – राज्य में इंजीनियरिंग की कुल सीटों में 64 फीसदी से ज्यादा कंप्यूटर साइंस की हो गई हैं, और आने वाले सालों में ग्रेजुएट्स के लिए नौकरियां कम पड़ सकती हैं।
विधान परिषद में मंगलवार को हायर एजुकेशन मिनिस्टर एमसी सुधाकर ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि राज्य में कुल 1.53 लाख इंजीनियरिंग सीटें हैं, जिनमें से 99,707 सिर्फ कंप्यूटर साइंस और एलाइड सब्जेक्ट्स की हैं। अगर यही रफ्तार रही तो जल्द ही हजारों युवा डिग्री लेकर सड़क पर आ जाएंगे।
Karnataka CSE Seats Cap की वजह: प्राइवेट यूनिवर्सिटी का अनियंत्रित विस्तार
सबसे बड़ा सवाल प्राइवेट सेक्टर पर उठ रहा है। राज्य में 22 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं, और इनमें ज्यादातर सीटें कंप्यूटर साइंस से जुड़ी हैं। उदाहरण के तौर पर सप्तगिरि यूनिवर्सिटी में कुल 4,320 सीटों में से 4,000 से ज्यादा CSE और संबंधित ब्रांचों की हैं। वहीं सरकारी कॉलेजों में CSE का हिस्सा सिर्फ 10 प्रतिशत के आसपास है।
बीजेपी एमएलसी धनंजय सरजी और प्रदीप शेट्टर ने भी सदन में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया। सरजी ने कहा कि प्राइवेट संस्थानों में 90 फीसदी कोर्स कंप्यूटर साइंस से जुड़े हैं, जबकि ट्रेडिशनल ब्रांच जैसे सिविल, मैकेनिकल और ऑटोमोबाइल की सीटें घटती जा रही हैं। कई कॉलेजों ने तो इन ब्रांचों को ही बंद कर दिया है।
AICTE से मदद नहीं, राज्य खुद लेगा एक्शन
मिनिस्टर सुधाकर ने बताया कि उन्होंने AICTE को पत्र लिखकर CSE सीटों को नियंत्रित करने की गुजारिश की थी, लेकिन AICTE ने कहा कि वह सीधे सीटें तय नहीं कर सकता। हालांकि AICTE ने राज्य सरकार को खुद यह कदम उठाने की इजाजत दे दी है। अब कर्नाटक तेलंगाना का रास्ता अपनाने जा रहा है, जहां CSE सीटों पर कैप लगाया गया और हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक इस फैसले को सही ठहराया गया।
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Karnataka CSE Seats Cap का असर: छात्रों और कॉलेजों पर क्या पड़ेगा?
यह फैसला अगर लागू होता है तो इंजीनियरिंग एडमिशन का पूरा लैंडस्केप बदल जाएगा। अभी CSE में एडमिशन के लिए कटऑफ आसमान छू रही हैं, लेकिन सीटें कम होने से कंपटीशन और बढ़ेगा। अच्छे कॉलेजों में एंट्री मुश्किल हो जाएगी। दूसरी तरफ ट्रेडिशनल ब्रांच जैसे सिविल और मैकेनिकल में सीटें बढ़ सकती हैं, जिससे उनमें इंटरेस्ट जगाने की कोशिश होगी।
प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बड़ा झटका लग सकता है। PES यूनिवर्सिटी और एलायंस यूनिवर्सिटी को पहले ही नोटिस जारी हो चुके हैं क्योंकि उन्होंने बिना परमिशन सीटें बढ़ाईं और नए कोर्स शुरू किए। अब सरकार प्राइवेट संस्थानों पर और सख्ती करने वाली है।
- नए इमर्जिंग कोर्स जैसे AI, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग भी प्रभावित हो सकते हैं
- सरकारी कॉलेजों में बैलेंस्ड डिस्ट्रीब्यूशन की उम्मीद
- छात्रों को दूसरे ब्रांच चुनने के लिए प्रोत्साहन
Karnataka CSE Seats Cap: बैकग्राउंड में क्या चल रहा है?
पिछले कुछ सालों में CSE का क्रेज इतना बढ़ा कि कॉलेजों ने दूसरे ब्रांच की सीटें कन्वर्ट करके कंप्यूटर साइंस में डाल दीं। AICTE की लचीली पॉलिसी ने इसमें आग में घी डाला। नतीजा यह कि टियर-1 शहरों में इंजीनियरिंग कॉलेज मशरूम की तरह उग आए, लेकिन जॉब मार्केट उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहा।
टेक इंडस्ट्री में लेऑफ की खबरें भी आ रही हैं। कई बड़ी कंपनियां हायरिंग कम कर रही हैं। ऐसे में लाखों CSE ग्रेजुएट्स का क्या होगा? सरकार इसी सोचकर सतर्क हो गई है। मिनिस्टर ने कहा कि यह छात्रों के भविष्य की रक्षा के लिए जरूरी कदम है।
अन्य राज्यों का उदाहरण
तेलंगाना ने सबसे पहले यह कदम उठाया और कोर्ट से हरी झंडी मिली। अब कर्नाटक भी उसी रास्ते पर है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो इंजीनियरिंग एजुकेशन का ‘बबल’ फूट सकता है, जैसा 2000 के शुरुआत में IT बूम के बाद हुआ था।
Karnataka CSE Seats Cap: आगे क्या हो सकता है?
सरकार जल्द ही सीट रेशनलाइजेशन की पॉलिसी ला सकती है। कुछ ब्रांच में इंटेक सीमित होगा, जबकि कम डिमांड वाली ब्रांच में फीस कम करके छात्रों को आकर्षित किया जाएगा। प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर नई गाइडलाइंस आएंगी। कुल मिलाकर इंजीनियरिंग एजुकेशन को ज्यादा बैलेंस्ड और जॉब ओरिएंटेड बनाने की कोशिश है।
छात्रों के लिए सलाह यही है कि सिर्फ क्रेज के पीछे न भागें। CSE के अलावा भी कई ब्रांच में अच्छे अवसर हैं – जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, डेटा साइंस या इलेक्ट्रिकल। स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करें, क्योंकि डिग्री से ज्यादा स्किल मायने रखती है।
- सरकार तेलंगाना मॉडल स्टडी कर रही है
- प्राइवेट संस्थानों पर निगरानी बढ़ेगी
- 2026 एडमिशन से बदलाव दिख सकते हैं
- ट्रेडिशनल ब्रांच को बूस्ट मिलेगा
Karnataka CSE Seats Cap: कुछ जरूरी आंकड़े
- कुल इंजीनियरिंग सीटें: 1.53 लाख
- CSE और एलाइड: 99,707 (64% से ज्यादा)
- प्राइवेट यूनिवर्सिटी: 22
- एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी उदाहरण: 4,320 में से 4,000+ CSE
- सरकारी कॉलेजों में CSE: सिर्फ 10%
यह फैसला इंजीनियरिंग के भविष्य को नई दिशा दे सकता है। छात्र, पैरेंट्स और कॉलेज सभी को इसके लिए तैयार रहना होगा। Karnataka CSE Seats Cap सिर्फ सीटें कम करने का मामला नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के करियर को सुरक्षित करने की कोशिश है।
Karnataka CSE Seats Cap FAQs: आपके सारे सवालों के जवाब
1. Karnataka CSE Seats Cap क्यों लगाया जा रहा है?
कंप्यूटर साइंस सीटें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं (64% से अधिक), जिससे आने वाले सालों में ग्रेजुएट्स के लिए नौकरियां कम पड़ सकती हैं। बेरोजगारी रोकने के लिए।
2. कितनी CSE सीटें हैं कर्नाटक में?
कुल 1.53 लाख इंजीनियरिंग सीटों में से 99,707 कंप्यूटर साइंस और संबंधित ब्रांचों की हैं।
3. तेलंगाना मॉडल क्या है?
तेलंगाना ने CSE सीटें बढ़ाने पर रोक लगाई, जिसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया। कर्नाटक उसी का अनुसरण करेगा।
4. प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर क्या असर पड़ेगा?
प्राइवेट संस्थानों में CSE का विस्तार रुकेगा। PES और Alliance जैसे यूनिवर्सिटी को पहले ही नोटिस मिल चुके हैं।
5. छात्रों को क्या सलाह है?
CSE के अलावा अन्य ब्रांच चुनें, स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करें। 2026 एडमिशन से बदलाव दिख सकते हैं।
