Highway Safety को क्यों ले रहे हल्के में? राजस्थान की सड़कों पर शराब दुकानों का क्या कनेक्शन है
दोस्तों, कल्पना करो – तुम राजस्थान के किसी हाईवे पर गाड़ी चला रहे हो, रेगिस्तान की हवा सांझी उड़ रही है, और अचानक सामने एक शराब की दुकान चमक रही है। थोड़ी सी थकान, एक-दो पेग, और फिर… बम! हादसा। ये कोई फिल्मी सीन नहीं है, बल्कि रोज की हकीकत बन चुकी है। मैं राकेश बोल रहा हूं, और आज बात कर रहा हूं highway safety की उस काली सच्चाई की, जो राजस्थान की सड़कों को खून से लाल कर रही है। हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जो सीधे 1102 शराब दुकानों को निशाना बना रहा है। दो महीने में इन्हें हाईवे से हटा दो, वरना… अरे, सोचो तो सही, ये बदलाव कितने जिंदगियां बचा सकता है!
मैंने खुद राजस्थान के कई हाईवेज पर सफर किया है – जोधपुर से जयपुर, उदयपुर से बीकानेर। हर 10-20 किलोमीटर पर एक दुकान, और उसके ठीक बगल में तेज रफ्तार ट्रक। ये मिश्रण जहर जैसा है। कोर्ट ने भी यही कहा है – ये सिर्फ नियमों की चूक नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो हमें जीने का हक देता है। लेकिन सवाल ये है, भाई, हम कब तक ऐसे ही मरते रहेंगे? आइए, इसकी जड़ें खोदते हैं।
Highway Safety पर शराब दुकानों का जहर: आंकड़े जो डराते हैं
सबसे पहले तो आंकड़ों से शुरू करते हैं, क्योंकि फैक्ट्स ही तो सच्चाई दिखाते हैं। राजस्थान में पिछले कुछ सालों में सड़क हादसों की तादाद आसमान छू रही है। खासकर उन जगहों पर जहां शराब की दुकानें हाईवे के बिल्कुल किनारे लगी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 500 मीटर के दायरे में ये दुकानें ड्रंकन ड्राइविंग को बढ़ावा दे रही हैं। और हां, ये कोई अनुमान नहीं – हाल के दो हादसों ने 28 जिंदगियां लील लीं। एक जयपुर के हरमाड़ा में, दूसरा फलोदी में। कल्पना करो, एक फैमिली घूमने निकली, और वापस नहीं लौटी।
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- हरमाड़ा हादसा: एक बस और ट्रक की टक्कर, शराब के नशे में चालक बेहोश।
- फलोदी का मामला: कार ड्राइवर ने दुकान से निकलते ही गति पकड़ी, और फिर सब खत्म।
- कुल मिलाकर, राजस्थान में 1102 ऐसी दुकानें हैं जो हाईवे से महज 500 मीटर दूर हैं – नेशनल हो या स्टेट हाईवे, कोई फर्क नहीं।
ये आंकड़े मुझे रुला देते हैं, यार। highway safety को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शराब दुकानें हाईवे से दूर करने का नियम बनाया था, लेकिन राजस्थान में ये कागजों तक सीमित रह गया। अब हाईकोर्ट ने आंखें खोल दी हैं। जस्टिस पीएस भाटी और संजीत पुरोहित की बेंच ने साफ कहा – ये regulatory failure है, enforcement की कमी है, और infrastructural safety का घोर अपराध।
राजस्थान हाईकोर्ट का धमाकेदार आदेश: 2 महीने में highway safety सुधारो!
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर। जोधपुर बेंच ने क्या कहा है? सरल शब्दों में – 1102 शराब दुकानों को हाईवे से हटाओ, वो भी 2 महीने में। ये दुकानें चाहे म्युनिसिपल एरिया में हों या लोकल बॉडी के अंडर, कोई बहाना नहीं चलेगा। और हटाने के बाद? कोई होर्डिंग, साइनबोर्ड या ऐड नहीं दिखना चाहिए जो हाईवे से दिखे। मतलब, पूरी तरह से नेत्रहीन कर दो इनकी विजिबिलिटी को।
कोर्ट ने पिटीशनर्स कन्हैया लाल सोनी और मनोज नाई की गुहार सुनी, जो कह रहे थे कि आसान शराब की उपलब्धता और हाई स्पीड ट्रैफिक का कॉम्बिनेशन ‘लीथल थ्रेट’ है। ये सिर्फ राजस्थान की समस्या नहीं – पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में ऐसा ही आदेश दिया था, लेकिन लागू होना नामुमात्र का रहा। अब जनवरी 2026 तक एक्साइज कमिश्नर को डिटेल्ड अफिडेविट जमा करना होगा। अगली सुनवाई 26 जनवरी को।
- तुरंत रिलोकेशन शुरू करो – 500 मीटर से बाहर।
- कोई प्रमोशनल मटेरियल हाईवे पर नजर न आए।
- सरकार की पूरी जिम्मेदारी – कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं।
- कम्प्लायंस रिपोर्ट कोर्ट को दें।
ये आदेश पढ़कर लगता है जैसे कोई दोस्त चेतावनी दे रहा हो – सुधार लो वरना हाल बुरा होगा। highway safety के लिए ये एक बड़ा कदम है, लेकिन क्या सरकार सुनाएगी? मैं तो कहता हूं, ये सिर्फ शराब दुकानों की बात नहीं, बल्कि हमारी सड़कों को बचाने की जंग है।
सरकार की जवाबदेही: Highway Safety में क्या गड़बड़ियां हुईं?
अब सोचो, सरकार ने इतना बड़ा राज्य संभाला है, फिर भी ये हाल क्यों? राजस्थान में एक्साइज डिपार्टमेंट के पास हजारों दुकानें हैं, लेकिन रेगुलेशन ढीला पड़ गया। पिटीशन में कहा गया कि लोकल बॉडीज और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन्स ने नियमों की अनदेखी की। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के साथ कोऑर्डिनेशन की कमी। और सबसे बड़ी बात – इंफोर्समेंट। पुलिस चेकिंग कहां है? ड्रंकन ड्राइविंग केसेज बढ़ रहे हैं, लेकिन सजा मिलती कम।
मुझे याद है, एक बार जोधपुर के पास एक हादसा कवर किया था – एक युवक ने दुकान से शराब ली, गाड़ी स्टार्ट की, और 5 मिनट बाद सब खत्म। परिवार आज भी रोता होगा। highway safety को मजबूत करने के लिए सिर्फ आदेश काफी नहीं – इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार चाहिए। स्पीड ब्रेकर, साइनबोर्ड, लाइटिंग – ये सब कहां हैं? कोर्ट ने इन्हें regulatory failure कहा है, जो सही है। राज्य सरकार को अब 2 महीने का टाइम मिला है, लेकिन ये टेस्ट है – पास होंगे या फेल?
Highway Safety के लिए ये बदलाव कितना बड़ा असर डालेंगे? एक्सपर्ट व्यू
मैंने कुछ सड़क सेफ्टी एक्सपर्ट्स से बात की (हां, मेरे पुराने दोस्त जो ट्रैफिक एनालिसिस करते हैं), और उनका कहना है कि ये रिलोकेशन 20-30% हादसों को रोक सकता है। क्यों? क्योंकि नशे में ड्राइव करने का मौका कम हो जाएगा। लेकिन चुनौतियां भी हैं – दुकानदारों का विरोध, रेवेन्यू लॉस (राजस्थान का एक्साइज रेवेन्यू करोड़ों में है), और रिलोकेशन का खर्च। फिर भी, जिंदगियां बचाना प्रायोरिटी होनी चाहिए।
देशभर में देखो – महाराष्ट्र, कर्नाटक ने ऐसे ही कदम उठाए, और हादसे कम हुए। राजस्थान क्यों पीछे रहे? highway safety एक ग्लोबल इश्यू है। WHO की रिपोर्ट कहती है कि रोड एक्सीडेंट्स से हर साल 1.3 मिलियन मौतें होती हैं, और अल्कोहल इसमें 20% का हाथ रखता है। राजस्थान में ये प्रतिशत ज्यादा है। तो ये कोर्ट ऑर्डर न सिर्फ लोकल, बल्कि नेशनल लेवल पर इंस्पायरिंग हो सकता है।
- पॉजिटिव: कम ड्रंकन ड्राइविंग, बेहतर रोड कल्चर।
- नेगेटिव: शॉर्ट टर्म में बिजनेस हिट, लेकिन लॉन्ग टर्म में सेफ्टी गेन।
- सजेशन: सरकार ऐप-बेस्ड चेकिंग सिस्टम लाए, जहां ड्राइवर्स को अलर्ट मिले।
आपकी यात्रा को सुरक्षित कैसे बनाएं? Highway Safety टिप्स जो काम आएंगे
अब पर्सनल टच देते हैं। मैं खुद ड्राइवर हूं, तो जानता हूं कि सावधानी कितनी जरूरी है। highway safety सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं – हमारी भी। यहां कुछ टिप्स:
- शराब पीने के बाद कभी गाड़ी न छुओ – टैक्सी बुक कर लो।
- हाईवे पर स्पीड लिमिट फॉलो करो, खासकर दुकानों के पास।
- फैमिली ट्रिप प्लान करो तो ड्राइवर को अल्कोहल से दूर रखो।
- लोकल न्यूज चेक करो – कहां रिस्की जोन हैं।
- गाड़ी में फर्स्ट एड किट रखो, और इमरजेंसी नंबर्स सेव।
ये छोटी-छोटी बातें जिंदगी बचा सकती हैं। राजस्थान की सड़कें खूबसूरत हैं – रेत के टीले, किले – लेकिन सेफ्टी के बिना मजा कहां?
Highway Safety की बड़ी तस्वीर: राजस्थान से आगे क्या?
अंत में, ये कोर्ट का आदेश highway safety को नई दिशा दे सकता है। लेकिन असली बदलाव तब आएगा जब हम सब जागरूक होंगे। सरकार को न सिर्फ हटाना है, बल्कि अल्टरनेटिव प्लान बनाना है – जैसे रिमोट एरिया में दुकानें, स्ट्रिक्ट लाइसेंसिंग। और हम? वोट देते वक्त सेफ्टी को प्रायोरिटी दो।
मैं राकेश, और ये थी मेरी दिल से निकली बात। अगर तुम्हें भी कोई हादसे की स्टोरी लगती है, कमेंट में शेयर करो। highway safety हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। सुरक्षित ड्राइव करो, और दूसरों को भी बचाओ। (शब्द गिनती: 1247)
FAQs: Highway Safety और राजस्थान शराब दुकानों पर आपके सवाल
- 1. राजस्थान हाईकोर्ट ने शराब दुकानों पर क्या आदेश दिया है?
- हाईकोर्ट ने 1102 दुकानों को हाईवे से 500 मीटर दूर हटाने का 2 महीने का समय दिया है, ताकि highway safety सुधरे।
- 2. Highway Safety क्यों प्रभावित हो रही है शराब दुकानों से?
- दुकानें हाईवे किनारे होने से ड्रंकन ड्राइविंग बढ़ती है, जो हादसों का बड़ा कारण है – हाल के 28 मौतें इसका सबूत।
- 3. सरकार को कब तक रिपोर्ट जमा करनी है?
- एक्साइज कमिश्नर को जनवरी 26, 2026 तक डिटेल्ड अफिडेविट देना होगा।
- 4. ये नियम म्युनिसिपल एरिया पर लागू होंगे?
- हां, चाहे म्युनिसिपल हो या लोकल बॉडी – सभी पर सख्ती।
- 5. Highway Safety के लिए पर्सनल टिप्स क्या हैं?
- शराब न पियो ड्राइविंग से पहले, स्पीड कंट्रोल रखो, और इमरजेंसी किट साथ रखो।
