Sharif Osman Hadi Death: छात्र नेता की मौत से बांग्लादेश में आग, मीडिया हाउस पर हमला – चुनाव से पहले बड़ा संकट
ढाका:
बांग्लादेश में हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। वर्ष 2024 की छात्र आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेता शरीफ उस्मान हादी के निधन की खबर सामने आते ही राजधानी ढाका सहित कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान गुरुवार को हादी की मौत हो गई, जिसके बाद उनके समर्थकों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने अखबारों के दफ्तरों और सांस्कृतिक संस्थानों को निशाना बनाया, आगजनी की घटनाएं हुईं और कई जगह भारत विरोधी नारे भी लगाए गए।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब देश में फरवरी 2026 में आम चुनाव प्रस्तावित हैं। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने शरीफ उस्मान हादी के निधन को देश के लिए बड़ी क्षति बताते हुए शनिवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया है। हालांकि मौजूदा हालात को देखते हुए यह सवाल उठने लगा है कि बढ़ती हिंसा का असर आने वाली चुनावी प्रक्रिया पर किस तरह पड़ेगा।
Sharif Osman Hadi Death: हमला कैसे हुआ और मौत कब हुई?
शरीफ उस्मान हादी सिर्फ 32 साल के थे। 12 दिसंबर को ढाका में मस्जिद से निकलते वक्त मोटरसाइकिल सवार नकाबपोश हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी। सिर में लगी गोली गंभीर थी, इसलिए उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया। वहां सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जिकल आईसीयू में भर्ती थे। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद गुरुवार शाम को उन्होंने दम तोड़ दिया।
सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि बांग्लादेशी अधिकारियों की मदद से शव वापस भेजा जा रहा है। शुक्रवार शाम तक हादी का पार्थिव शरीर ढाका पहुंच गया। शनिवार को संसद भवन के सामने जनाजा होगा और उन्हें राष्ट्रीय कवि काजी नजरुल इस्लाम के बगल में दफनाया जाएगा।
Sharif Osman Hadi Death के बाद हिंसा क्यों भड़की?
खबर फैलते ही हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। शाहबाग चौराहे पर जाम लगा दिया गया। गुस्साई भीड़ ने देश के दो सबसे बड़े अखबारों – प्रोथोम आलो और डेली स्टार – के दफ्तरों पर हमला बोल दिया। प्रोथोम आलो की इमारत में आग लगा दी गई, जबकि डेली स्टार में तोड़फोड़ हुई। पत्रकार छत पर फंस गए थे, दमकलकर्मियों ने मुश्किल से बचाया।
हमले सिर्फ मीडिया तक नहीं रुके। ढाका के मशहूर सांस्कृतिक केंद्र छायनट में लूटपाट और आगजनी हुई। कुछ जगहों पर अवामी लीग से जुड़े दफ्तरों को निशाना बनाया गया। चटगांव में भारतीय सहायक हाई कमीशन पर पत्थरबाजी हुई। राजशाही और गाजीपुर में भी प्रदर्शन हुए।
- प्रोथोम आलो और डेली स्टार के दफ्तर जले
- छायनट सांस्कृतिक केंद्र पर हमला
- भारत विरोधी नारे और दूतावासों के बाहर प्रदर्शन
- कई शहरों में सड़क जाम और तोड़फोड़
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा सरकार पर है कि हादी की सुरक्षा क्यों नहीं की गई। कुछ लोग इसे साजिश बता रहे हैं और हमलावरों के भारत भागने की अफवाहें फैला रहे हैं। भारत ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
कौन थे शरीफ उस्मान हादी? Sharif Osman Hadi Death से पहले की कहानी
शरीफ उस्मान हादी वर्ष 2024 के छात्र आंदोलन के उन प्रमुख चेहरों में शामिल थे, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की करीब 15 साल पुरानी सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। वह इंकिलाब मंच के प्रवक्ता के रूप में जाने जाते थे और अपने बेबाक बयानों के कारण अक्सर चर्चा में रहते थे। राजनीतिक मोर्चे पर भी सक्रिय हादी, ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे।
हादी की पहचान एक मुखर और जमीनी नेता के रूप में थी। उनके समर्थक उन्हें “सड़कों से जुड़ा नेता” बताते थे, जो हर आंदोलन में युवाओं के साथ सबसे आगे नजर आता था। हालांकि उनकी कठोर और उग्र विचारधारा को लेकर विरोध भी कम नहीं था। कई वर्गों ने उनके रुख को कट्टरपंथी करार दिया और भारत विरोधी बयानबाजी को लेकर भी वह अक्सर विवादों में रहे, खासकर शेख हसीना के भारत में शरण लेने के मुद्दे पर।
Sharif Osman Hadi Death: अंतरिम सरकार की मुश्किलें बढ़ीं
मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पहले से ही दबाव में है। चुनाव कराने का वादा है, लेकिन सुधारों में देरी हो रही है। अब यह हिंसा नई चुनौती बन गई। यूनुस ने टीवी पर अपील की कि शांत रहें और हिंसा से हादी का अपमान न करें। सरकार ने कहा कि हमलावरों को जल्द पकड़ा जाएगा।
यूनुस के प्रेस सलाहकार शफीकुल आलम ने खुद पत्रकार होने के नाते माफी मांगी। कहा कि मीडिया पर हमले से उन्हें शर्मिंदगी हो रही है। सेना और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने निष्पक्ष जांच की मांग की। कई देशों ने प्रेस फ्रीडम पर हमले की निंदा की। भारत ने बांग्लादेशी दूत को तलब कर विरोध जताया।
क्या चुनाव पर असर पड़ेगा Sharif Osman Hadi Death से?
फरवरी में चुनाव होने हैं। हादी खुद उम्मीदवार थे। अब उनके समर्थक और इंकिलाब मंच जैसे ग्रुप और सक्रिय हो सकते हैं। कुछ विश्लेषक कहते हैं कि हिंसा से माहौल खराब होगा और चुनाव टल सकता है। लेकिन सरकार ने साफ कहा है कि लोकतंत्र की राह नहीं रुकेगी।
| घटना | स्थान | नुकसान |
|---|---|---|
| आगजनी | प्रोथोम आलो ऑफिस | इमारत क्षतिग्रस्त, पत्रकार फंसे |
| तोड़फोड़ | डेली स्टार ऑफिस | बड़ी क्षति |
| पत्थरबाजी | भारतीय मिशन, चटगांव | सुरक्षा बढ़ाई गई |
| सड़क जाम | शाहबाग, ढाका | ट्रैफिक ठप |
Sharif Osman Hadi Death: आगे क्या?
शनिवार को जनाजे के बाद और बड़े प्रदर्शन हो सकते हैं। सरकार ने लोगों से शांत रहने की अपील की है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज से हमलावरों की पहचान कर रही है। लेकिन बांग्लादेश की राजनीति में यह नया मोड़ चुनावी माहौल को पूरी तरह बदल सकता है।
युवा नेता की मौत ने न सिर्फ गम का माहौल बनाया बल्कि गुस्से की लहर भी ला दी। अब देखना यह है कि अंतरिम सरकार इस संकट से कैसे निपटती है। बांग्लादेश के लोग लोकतंत्र की राह पर आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन हिंसा इसमें रोड़ा न बने।
FAQs Section
1. Sharif Osman Hadi Death कब और कैसे हुई?
18 दिसंबर 2025 को सिंगापुर के अस्पताल में। 12 दिसंबर को ढाका में गोली लगी थी।
2. हिंसा में कौन-कौन से जगहें प्रभावित हुईं?
प्रोथोम आलो, डेली स्टार ऑफिस, छायनट केंद्र और कुछ भारतीय मिशनों के बाहर।
3. शरीफ उस्मान हादी कौन थे?
2024 छात्र आंदोलन के नेता, इंकिलाब मंच के प्रवक्ता और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार।
4. सरकार ने क्या कदम उठाए?
राष्ट्रीय शोक घोषित, सेना तैनात और हिंसा की निंदा की।
5. क्या चुनाव टल जाएगा?
अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं, लेकिन हिंसा से माहौल तनावपूर्ण है।
